Monday, February 21, 2011

मायावती का नोएडा आना-ना-आना

सुरेन्द्र पंडित
अब लोग कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री नोएडा आती ही क्यों है। हम लोगों को कमरों में बंद कर दिया जाता है। पुलिस वाले घरों के अंदर लोगों को बंद कर बाहर से कुंडी लगा देते हैं। इससे अच्छा तो पहले ही था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सिर पर नोएडा का अंधविश्वास चढ़ कर बोलता था। कुछ साल पहले तक तो नोएडा के पत्रकार यह लिखते-लिखते थक गए कि, ‘मुख्यमंत्री जी एक बार तो नोएडा आ ही जाइए, लेकिन जिस भी मुख्यमंत्री ने नोएडा आने की जुर्रत की वही निपट गए।
..पर दलित राजनीति की प्रतीक मायावती की बात ही कुछ और है, जब से मायावती मुख्यमंत्री बनी तब से वह तीन बार नोएडा आ चुकी है। विपक्षी पार्टियां उनके सिंहासन को टस-से-मस नहीं सकीं। वह वही नेता हैं जिन्होंने अपनी कुर्सी गिरने के डर से नोएडा की तरफ झांकने की हिम्मत नहीं की। भाजपा के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने नोएडा आने की हिम्मत नहीं की। डीएनडी का उद्घाटन दिल्ली की ओर से कर दिया। देश को हिला देने वाला निठारी कांड हो गया। मुलायम सिंह यादव नहीं आए... शिवपाल यादव आकर कह गए, ‘छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं... बस फिर क्या था इसका खामियाजा मुलायम सिंह भुगता।
वैसे इससे पहले एक बार कल्याण सिंह, वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी, विश्वनाथ प्रताप सिंह नोएडा आकर अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने का दंश ङोल चुके हैं। मुलायम सिंह और मायावती ने भी इस पूर्व में नोएडा के अंधविश्वास को तोड़ने की असफल कोशिश की थी। दूसरी बार मुलायम सिंह ने यह हिम्मत नहीं दिखाई, लेकिन बहन जी 21 नवम्बर 2007 को केबिनेट मंत्री सतीश मिश्रा की भतीजी की शादी में नोएडा आईं और फिर सुर्खियां में छा गईं। कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका। अपने पैतृक गांव बादलपुर में मायामहल बनवा दिया। महल की एक दीवार भी ढह गई लेकिन हौसला नहीं टूटा।
माया की माया जबदस्त है, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि नोएडा में पार्क बनना चाहिए। अब तो मायावती (प्रतिमा) नोएडा में हमेशा ही सर उठा कर खड़ी रहेंगी। होंगी भी क्यों नहीं.. यही तो नोएडा का वैभव है। यहां के ‘खेत वास्तव में सोना उगलते है, यह और बात है कि यहां पर खेती नहीं होती। कहते हैं कि एक आदमी को सिर्फ दो गज जमीन की जरूरत होती है, यहां पर उग्र आंदोलन चल रहा है कि जमीन का मुआवजा बढ़ाया जाए। ‘यमुना बहुत पवित्र है, लेकिन अब नहीं रही, दिल्ली में मैली हो गई तो यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण किसानों के खून से लाल होने को आतुर है। गोलियां चल रही हैं, लाठी-डंडे और पत्थर भी हैं। वर्दी घायल हो गई, किसान सड़कों पर उतर गए।
मायावती जिलों के भ्रमण पर निकली हैं। यहां भी आईं, लेकिन उस इलाके के करीब भी नहीं फटकी। बहरहाल, अब तक कई जिलों के अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहते हैं कि ‘यह मुख्यमंत्री नोएडा आए, लोगों को बेवजह बंधक बनाना पड़ता है, ठंड में बारिश से कम पसीने से ज्यादा भीगते हैं।



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